Friday 28 May 2010

राजस्थानी सबद - भाग : 2 / दीनदयाल शर्मा



राजस्थानी सबद - भाग : 2
/ दीनदयाल शर्मा 






प्रतियोगी परीक्षा रै पढेसरियां सारू 
गांवां रा आंचलिक सबद । 
चोखा लागै तो टिप्पणी जरूर।




31. कढावणी= बड़े मुँह का मटके के 
आकार का मिट्टी का बर्तन जिसमें 
दूध गर्म करने के लिए हा'रे में रखते हैं।
32. हा'रा= दूध या पानी गर्म करने का 
तन्दूर जैसा, लेकिन तन्दूर से कम ऊंचाई का।
33. बळीतौ= आग जलाने की 
सामग्री-लकड़ी, उपले, थेपड़ी, छाणां आदि।
34. तीवण या साग= सब्जी
35. माचौ= चारपाई




36. गूदड़ी= बच्चों का बिछौना, जिसमें 
रूई की जगह पुराने कपड़े भरे होते हैं।
37. गूदड़= बड़ों के बिछौने, जिसमें रूई की 
जगह पुराने कपड़े भरे होते हैं। 
38. ताती या तातौ या ताता = गर्म
39. गला= गळा
40. तांती= अस्वस्थ होने पर देवता के 
नाम का गळे में बांधने वाला धागा, 
मोळी अथवा नाळ।      






46. दसौटन= बच्चे के जन्म पर 
दी जाने वाली पार्टी।
47. खर्च, औसर, मौसर= मृत्यु भोज।
48. जीवत जिगड़ी= मृत्यु भोज के नाम 
पर जीवित रहते हुए अपने सामने 
लोगों को भोजन करवाना।
49. टोगडिय़ा, टोगडिय़ौ= बच्छड़ा।
50. दूध चुंघाणा= दूध पिलाना।




51. खोली= भैंस।
52. धार= दूध।
53. काचरी= काचर को छीलकर और काटकर 
सुखा कर सुरक्षित रखी गई सामग्री। 
54. खेलरी= ककड़ी को छीलकर और काटकर 
सुखा कर सुरक्षित रखी गई सामग्री। 
55. फोफळिया= टिण्डे को काटकर और 
सुखाकर सुरक्षित रखी गई सामग्री।




56. सींव= खेत की सरहद या सीमा।
57. पाड़ करना= खेत जोतना।
58. फोगलिया= फोग के लगते हैं, 
जो रायता बनाने के काम आता है।
59. लाव= कुएं से पानी निकालने 
का मोटा रस्सा।
60. खेळ= पशुओं को पानी पिलाने 
के लिए बना हौज।

राजस्थानी सबद - भाग : 1/ दीनदयाल शर्मा

राजस्थानी सबद - भाग : 1
/ दीनदयाल शर्मा 





प्रतियोगी परीक्षा रै पढेसरियां 
सारू गांवां रा आंचलिक सबद। 
चोखा लागै तो टिप्पणी जरूर...।

1. न्याणां= गाय का दूध दूहते 
समय उसके पीछे वाले पैरों में 
क्रॉस की तरह जो रस्सी बांधते हैं।
2. जावण= दूध को दही रूप में 
जमाने के लिए हल्के गर्म दूध में 
चम्मच भर दही या छाछ डालते हैं।
 इसी दही या छाछ को जावण बोलते हैं।
3. सूण्डी= नाभि
4. पीळा पोमचा= एक ऐसी ओढऩी, 
जिसे  केवल पुत्र की मां ही ओढ़ती है। 
5. दावण= चारपाई के लगभग पांचवें 
हिस्से में लगाई गई रस्सी को जो सूत,
 रबड़ या कपड़े की बनी होती है।




6. नेत्रो= दही बिलोते समय जो रस्सी 
काम में ली जाती है।
7. डोई= कुड़छे के समान लकड़ी के बने हुए 
यंत्र को डोई कहते हैं।
8. झेरना= दही बिलौने के लिए 
लकड़ी का यंत्र जिसमें नीचे की ओर
 उसी लकड़ी से चार हिस्से करके बना होता है।
 छिले हुए केले के छिलकों की तरह बना होता है।
9. थेपड़ी= गोबर से बनाई गई चपटी
 गोलाकार आकृति जो पुरानी गली-सड़ी 
तूड़ी या ग्वार का सूखा बेकार चारा
 मिलाकर बनाई जाती है।
10. छाणां= गोबर से बिना कोई आकार के 
बने छोटे-छोटे उपले।




11. ठाण= पशुओं को चारा डालने के लिए 
बनाया गया स्थान।
12. साळ या कोठा= घर के अंदर आंगन में 
बना आयताकार बड़ा कमरा।
13. सुरमा= जो सूखा होता है और आंखों की सफाई के लिए आंखों में डाला जाता है।
14. काजळ= आंखों की सुन्दरता के लिए महिलाएं लगाती हैं।
15. निजरियो= बच्चों के माथे के एक ओर लगाया जाने वाला काजल का टिक्का।




16. बाखळ= आंगन के बाहर से लेकर 
मुख्य द्वार के बीच की जगह।
17. दुराजौ= दरवाजा
18. कंध या भींत= दीवार
19. मौ'डा= भुजा
20. गौडा= घुटना




21. बींटी= अंगूठी
22. लीख= जूं की पूर्वावस्था।
23. ढेरा या टोकळ= जूं का बड़ा रूप।
24. डोळा= भौंहें
25. भांपण= आंखों के ऊपर के बाल।




26. गूद्दी= गर्दन के पीछे का हिस्सा।
27. कमर या कड़= पीठ
28. फींच = घुटने के पीछे का हिस्सा।
29. पींडी= घुटने और टखने के बीच का   हिस्सा।
30. साथळ=घुटने और कमर के बीच का हिस्सा। 

Sunday 23 May 2010

डुक - 15 , 16



डुक  - 15 

रोंग मिलै अर बंद रैवै,
चाये लाग ज्ये जम्प, 
बिल तो भरणो पड़ई सी,
कित्ताई मारल्यो पम्प. 



डुक - 16

कदी चलावां चकरी, 
अर कदी चलावां चक्को, 
ज़िन्दगी नै लाडी,
बस ईंयां ईं देवां धक्को.  

डुक - 13 , 14



डुक - 13 

अफसर तो अफसर होवै,
कुण कर सकै काबू,
का तो करै अफसरणी,
अर का कर सकै बाबू. 


डुक - 14

सब्जी मैंगी होयगी, 
रोज बणावां दाळ,
अर दाळ री भी भायला,
अब होवण लाग्गी टाळ. 

डुक - 11, 12


डुक - 11

कान बिन्धाया लियो कमंडळ,
झींट कटा'र  होयो रोडो,
एम्.ए. कर ली काम नीं लाग्यो, 
बणग्यो जगियो मोडो. 



डुक - 12

आजकाल री हीरोइना नै,
कित्ती दिखावे सैक्सी, 
कदी परावे फ्राक बाने,
कदी परावे मैक्सी. 

डुक - 9 , 10


डुक  - 9 

जंगळ कटे अर जण बधे,
मतलबियाँ री भीड़,
कठे बणासी पंछी आपरो,
नान्हो सो एक नीड़. 



डुक - 10  

इस्कूल आंवतांईं बांनै,
पढण रो इसो नसो चढे,
कै आठुवें घंटे तांईं ,
सगल़ा  अखबार पढे . 

डुक - 7, 8


डुक - 7

शिक्षक दिवस नै गुरजी रो,
छोरां यूं करयो सनमान, 
कै इण दिन कणी छोरै,
बां'रो नीं करयो अपमान. 


डुक - 8

सुख रा सागर सूख ज्यावै ,
जंजाळ जीव रा जाणो,
धन घटे अर पत घटावै,
कोट कचेड़ी थाणो. 

डुक- 4, 5, 6


डुक - 4

डुक है मेरो निन्हो सो,
अर च्यार लेण रो आगियो,
सूत्या हो तो भाया आनै,
पढण खातर जागियो. 


डुक -5

 धरम है मेरो मिनखपणों,
अर भासा राजस्थानी,
डुक लिख्या है थारै खातर, 
डुक मेरी निसानी. 

डुक -6

देखो आपरी ड्युटी नै, 
कियां करै बै कैस,
मैडम बणावै स्वेटरां,   
अर टीचर खेलै चैस. 

डुक - 3



डुक - 3

इनाम नै सिलाम करां,
बार बार झुक,
इनाम तो इनाम होवै,
मिलै भलांई डुक.     

डुक - 2


डुक - 2

नान्हे नान्हे टाबरियां रै, 
मुंडै पडै ल्याळ,
चा नै चियर्स कह र पीवै,
पाछे काडै गाळ.

डुक- 1



डुक - 1

च्यार साल रो छोरो है,
स्कूल कोनी जावै,
पण टी वी आल़ा विज्ञापन,
मुख जबानी आवै.

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