Thursday 7 September 2017

बरसों बरस की मित्रता है हमारी

बरसों बरस की मित्रता है हमारी
हमारी पहली मुलाकात कब, कहां और कैसे हुई, याद नहीं। हां, यह जरूर याद है कि जब हम पहली बार मिले तब ऐसा कतई नहीं लगा कि यह हमारी पहली मुलाकात है। यही लगा कि हम बरसों से मिलते रहे हैं। सौ फीसदी अनौपचारिक। सहज-सरस। उनकी निश्छल हँसी। जैसी मासूम बच्चों की होती है। निविर्कार भाव से स्वयं के बारे में सब कुछ खोलने की उमंग। सामने वाले को ज्यादा ज्ञानी-ध्यानी-अग्रज मानने और स्वयं को मात्र जिज्ञासु समझने की बाल सुलभ मनोवृत्ति। पहली ही मुलाकात में उन्होंने मुझे उम्र में बड़ा मान लिया और सम्बोधन दिया-‘भाई साहब।’ऐसा ‘हादसा’ मेरे साथ ही नहीं हुआ, दूसरे साहित्यिक मित्रों के साथ होता आया है। वे उम्र में छोटे  ही बने रहने में आनंद पाते हैं। इसलिए अपने से कम उम्र वाले को भी बड़ा बताते हुए तत्काल भाई साहब सम्बोधन से उसको बड़प्पन का भार सौंप देते हैं। सम्बोधन का असर होता ही है। मेरे पर भी हुआ। सरकारी रिकार्ड को आधार मानूं तो उनकी जन्म तारीख है- 15 जुलाई, 1956 और मेरी है-एक मई 1957 । मतलब कि उम्र में वे मेरे से बड़े हैं और मैं छोटा। फिर भी उनके लिए मैं बन गया बुलाकी भाई साहब और वे मेरे लिए हैं दीनदयाल जी।
       भाई दीनदयाल जी अब साठा-पाठा हैं। किन्तु उनके पास साथ बैठिये तो सही। उनके व्यवहार से आपको इसका अहसास नहीं होगा। हँसी तो उनके होठों पर बिखरी रहती है। आप चाहे कितने ही सीरियस मूड में हों, उनसे मिलकर आप वैेसे रह ही नहीं सकते, जैसे पहले थे। आप स्वयं को टेन्सन-फ्री महसूस करने लगेंगे और उनके साथ हँसते-मुस्कराते नज़र आयेंगे।
ऐसा ही सरल-सहज-सरस व्यक्ति बच्चों के लिए लिख सकता है। बच्चों का चहेता बन सकता है। मैं मानता हंू कि बाल साहित्य सृजन सबसे मुश्किल कार्य है। जो बच्चों के मन को समझ सके, जिसमें बच्चों के बीच बच्चा बनने की सहज प्रवृति हो, जो बच्चों की तरह सहज-सरल हो, वही बच्चों के लिए लिख सकता है। बाल साहित्य लेखन परकाया-प्रवेश करने जैसा दुष्कर कार्य है। और इस दुष्कर कार्य को दीनदयाल शर्मा सहजता से वर्षों से करते रहे हैं। बाल साहित्यकार के रूप में हिन्दी और राजस्थानी साहित्य समाज में विशिष्ट पहचान है आपकी। उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं में भी लिखा है। व्यंग्य, कविता, कहानी, नाटक आदि विधाओं में उनकी अच्छी गति रही है किन्तु उन्हें ज्यादा आनंद मिलता है बच्चों के लिए लिखते हुए। उन्होंने जैसे स्वयं को बच्चों के प्रति समर्पित कर दिया है। बच्चों के लिए लिखने में ऐसे रमे हैं  कि दूसरी विधाओं में उनका लेखन लगभग बंद सा है। यह है उनका समर्पण बालकों के प्रति। बाल साहित्य के प्रति। बच्चों के लिए खूब लिखा है और लिख रहे हैं दीनदयाल शर्मा। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर सहित अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं ने उनके बाल साहित्य सृजन को पुरस्कृत-सम्मानित किया है।
        बाल साहित्य सृजन जैसा दुष्कर कार्य करने वाले साथी दीनदयाल शर्मा के साथ यादों का अकूंत भंडार है। बीकानेर आते हैं तो जरूर मिलते हैं और मेरा हनुमानगढ़ कभी जाना हुआ तो उनसे मिले बिना रह नहीं पाया। मुझे याद आता है-उनके राजस्थानी बाल नाटक ‘शंखेसर रा सींग’ का लोकार्पण कार्यक्रम। हम दोनों पहुंचे श्रद्धेय यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ जी के पास। पुस्तक लोकार्पण की बात बतायी और स्थान के बारे में उनसे मार्गदर्शन चाहा। उन्होंने सहजता से कहा-ज्यादा तामझाम में क्या रखा है। तुम अपने घर पर ही कार्यक्रम रख लो बुलाकी। साहित्यकारों को सूचना कर देना। उनका आदेश शिरोधार्य। दीनदयाल जी ने आर्ट कार्ड शीट पर चित्ताकर्षक बैनर  बनाया। चित्रकार भी तो हैं न वे। शाम को बीकानेर शहर के प्रमुख साहित्यकारों की साक्षी में श्रद्धेय चन्द्रजी ने ‘शंखेसर रा सींग’ का लोकार्पण किया।
         अगले दिन समाचार पत्रों में फोटो सहित शानदार खबरें छपीं। यह बात होगी शायद 1997 की।  ऐसे आत्मीय लोकार्पण कार्यक्रम की यादें अब भी प्रफुल्लित करती हैं।
       राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने मेरे व्यंग्य संग्रह ‘दुर्घटना के इर्दगिर्द’ पर कन्हैयालाल सहल पुरस्कार देने की घोषणा की, उसकी सबसे पहले जानकारी मिली, दीनदयाल जी से। यह सन् १९९९ की बात है। तब सोशल मीडिया का प्रभाव कहां था। शाम को दीनदयाल जी का फोन आया। अमाप खुशी में बोले, ‘भाई साहब बधाई हो। थांनै राजस्थान साहित्य अकादमी रो पुरस्कार घोषित होयो है। अबार रेडिया माथै खबर सुणी है।’ उनसे ही मुझे पुरस्कार घोषित होने की पहली जानकारी के साथ बधाई मिली। अकादमी का फोन उनके फोन के बाद आया। किन्तु मेरे से पुरस्कार घोषणा की ‘उमंग’ में एक बहुत बड़ी चूक हो गई। समाचार पत्रों में अगले दिन मेरा जो साक्षात्कार छपा, उसमें मैंने पहली जानकारी राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष से मिलना बताया। इस साक्षात्कार को पढ़ दीनदयाल जी ने मीठा ओळमा दिया। मुझे अपनी चूक का अहसास हो गया। शर्मिंदा होकर उनसे माफी मांगी। उन्होंने निश्छल हँसी बिखेरते हुए यही कहा कि इसमें माफी -वाफी की कोई बात नहीं है। पुरस्कार की खुशी में हो जाता है ऐसा। उन्हें शायद इस घटना का स्मरण न हो। किन्तु मुझे अपनी इस चूक का आज भी अफसोस है।
         बरसों बरस की मित्रता है हमारी। यादों का पिटारा खोलना शुरू करूंगा तो पन्ने-दर-पन्ने काले करता रहूंगा। बस, मेरी यही मंगलकामना है कि भाई दीनदयाल शर्मा इसी भांति सदैव हँसते मुस्कराते साहित्य सृजन करते रहें। घर-परिवार खुशियों से भरा रहे। हम सब साथी उनसे सहज-सरल रहने की सीख लेते रहें।
जानकारी मिली, दीनदयाल जी से। यह सन् 1999 की बात है। तब सोशल मीडिया का प्रभाव कहां था। शाम को दीनदयाल जी का फोन आया। अमाप खुशी में बोले, ‘भाई साहब बधाई हो। थांनै राजस्थान साहित्य अकादमी रो पुरस्कार घोषित होयो है। अबार रेडिया माथै खबर सुणी है।’ उनसे ही मुझे पुरस्कार घोषित होने की पहली जानकारी के साथ बधाई मिली। अकादमी का फोन उनके फोन के बाद आया। किन्तु मेरे से पुरस्कार घोषणा की ‘उमंग’ में एक बहुत बड़ी चूक हो गई। समाचार पत्रों में अगले दिन मेरा जो साक्षात्कार छपा, उसमें मैंने पहली जानकारी राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष से मिलना बताया। इस साक्षात्कार को पढ़ दीनदयाल जी ने मीठा ओळमा दिया। मुझे अपनी चूक का अहसास हो गया। शर्मिंदा होकर उनसे माफी मांगी। उन्होंने निश्छल हँसी बिखेरते हुए यही कहा कि इसमें माफी -वाफी की कोई बात नहीं है। पुरस्कार की खुशी में हो जाता है ऐसा। उन्हें शायद इस घटना का स्मरण न हो। किन्तु मुझे अपनी इस चूक का आज भी अफसोस है।
         बरसों बरस की मित्रता है हमारी। यादों का पिटारा खोलना शुरू करूंगा तो पन्ने-दर-पन्ने काले करता रहूंगा। बस, मेरी यही मंगलकामना है कि भाई दीनदयाल शर्मा इसी भांति सदैव हँसते मुस्कराते साहित्य सृजन करते रहें। घर-परिवार खुशियों से भरा रहे। हम सब साथी उनसे सहज-सरल रहने की सीख लेते रहें।

Thursday 18 June 2015

दीनदयाल शर्मा बाल साहित्यकार



-दीनदयाल शर्मा 
बाल साहित्यकार

जन्म: 15 जुलाई 1956 (प्रमाण पत्र के अनुसार) 
जन्म स्थान: गांव- जसाना, तहसील- नोहर, जिला- हनुमानगढ़ (राज.)
शिक्षा: एम. कॉम. (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर 1985), स्काउट मास्टर बेसिक कोर्स (1979, 1990) लेखन: हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन। 
मूल विधा: बाल साहित्य अन्य: व्यंग्य, कथा, कविता, नाटक, एकांकी, रूपक, सामयिक वार्ता आदि।


विशेष: =हिन्दी व राजस्थानी में दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। =देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएं प्रकाशित (1975 से) 
=महामहिम राष्ट्रपति डॉ. कलाम द्वारा अंग्रेजी में अनुदित बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्स' का 17 नवम्बर 2005 को लोकार्पण। 
=बाल दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल की ओर से विशेष सम्मान, 2007 
=आकाशवाणी से हास्य व्यंग्य, कहानी, कविता, रूपक, नाटक आदि प्रसारित। 
=दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित। 
=काव्य गोष्ठियों एवं कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ।
=गंगानगर पत्रिका (1972 से) प्रताप केसरी (23 अप्रेल 1979 से) और राजस्थान पत्रिका के लिए समाचार संकलन (1972 से 1982 के मध्य)
=राष्ट्रदूत, बीकानेर, प्रताप केसरी, श्रीगंगानगर, दैनिक तेज, हनुमानगढ, और दैनिक तेज केसरी, हनुमानगढ़ के लिए स्तंभ लेखन। (1979 से 1982 के मध्य) 
=बी.जे.एस.रामपुरिया जैन महाविद्यालय, बीकानेर में हिन्दी संपादक, 1979
=जैन पी.जी.कॉलेज, गंगाशहर, बीकानेर में हिन्दी संपादक, 1981
=संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, हनुमानगढ़, राज., 1986 
=संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान साहित्य परिषद, हनुमानगढ़, राज. 1984
=साहित्य सम्पादक (मानद): टाबर टोल़ी पाक्षिक (बच्चों का हिन्दी अखबार), बाल दिवस 2003 से लगातार
=सम्पादक (मानद): कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार)
 =डॉ. प्रभाकर माचवे : सौ दृष्टिकोण में एक आलेख संकलित।
=शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित। 
=स्कूल एवं कॉलेज की अनेक स्मारिकाओं का सम्पादन।=बाल साहित्य की अनेक पुस्तकों के भूमिका लेखक। 
=जिला साक्षरता समिति हनुमानगढ़ की ओर से प्रकाशित मासिक मुख पत्र आखर भटनेर का सम्पादन। साक्षरता में उपलब्धियां :
=जिला संपूर्ण साक्षरता समिति हनुमानगढ़ के 'भटनेर' परियोजना प्रस्ताव, 
=उत्तर साक्षरता परियोजना प्रस्ताव तथा सतत् शिक्षा परियोजना प्रस्ताव का निर्माण, लेखन और संपादन, =नवसाक्षरों के पठन हेतु 'आखर मेड़ी' भाग-1, भाग-2, भाग-3 का निर्माण - सम्पादन, 
=संदर्भ व्यक्ति, =मीडिया सैल एवं 
=कौर ग्रुप का सदस्य, 
=आखर गांव, 
=आखर राजस्थान तथा 
=नीले घोड़े का असवार नाम की तीन भित्ति पत्रिकाओं का निर्माण, 
=समय-समय पर तहसील, जिला एवं राज्य स्तरीय कार्यशालाओं तथा कला जत्थे में सक्रिय भागीदारी। =जिला साक्षरता समिति की ओर से मासिक मुख पत्र 'आखर भटनेर' का कई वर्षों तक सफल संपादन।

 प्रकाशित कृतियां: (हिन्दी में) 
=चिंटू-पिंटू की सूझ (बाल कहानियां चार संस्करण)
=चमत्कारी चूर्ण (बाल कहानियां) 
=पापा झूठ नहीं बोलते (बाल कहानियां)
=कर दो बस्ता हल्का (बाल काव्य)
=सूरज एक सितारा है (बाल काव्य)
=सपने (बाल एकांकी)
=बड़ों के बचपन की कहानियां (महापुरुषों की प्रेरणाप्रद घटनाएं)
=इक्यावन बाल पहेलियाँ (बाल पहेलियां)
=फैसला (बाल नाटक)
=नानी तू है कैसी नानी
=चूं-चूं (शिशु कविताएँ)
=राजस्थानी बाल साहित्य:एक दृष्टि
=फैसला बदल गया (नवसाक्षर साहित्य) 
=मैं उल्लू हूं (हास्य व्यंग्य दो संस्करण 1987,1993) 
=सारी खुदाई एक तरफ (हास्य व्यंग्य संग्रह) 
गिलीगिली गप्पा (बाल काव्य)
अगडम बगडम (शिशु कविताएँ)

(अंग्रेजी में) 
=द ड्रीम्स,

= मराठी और
= पंजाबी में भी एक एक पुस्तक प्रकाशित


 राजस्थानी साहित्य:
=चन्दर री चतराई (बाल कहानियां)
=टाबर टोल़ी (बाल कहानियां) 
=शंखेसर रा सींग (बाल नाटक, दो संस्करण)
=तूं कांईं बणसी (बाल एकांकी)
=म्हारा गुरुजी (बाल एकांकी)
=डुक पच्चीसी (हास्य काव्य) 
=गिदगिदी (हास्य काव्य) 
=सुणौ के स्याणौ (हास्य काव्य, दो संस्करण)
=स्यांति (कथा)
=घर बिगाड़ै गुस्सौ (हास्य)
=घणी स्याणप (हास्य)
=बात रा दाम (तीन बाल नाटक)
=बाळपणै री बातां  ( बाल निबंध )
=रीत अर प्रीत ( काव्य ) 
=ताक धिनाधिन (बाल काव्य) 

प्रसारित रेडियो नाटक: 
=मेरा कसूर क्या है
=रिश्तों का मोल 
=अंधेरे की तस्वीर
=पगली
=और थाली बज उठी 
=अपने-अपने सुख 
=जंग जारी है 
=उसकी सजा 
=छोटी-छोटी बातें
=और सब कहते रहे 
=पगड़ी की लाज
=मुझे माफ कर दो 
=घर की रोशनी 

प्रसारित झलकी: 
=मास्टर फकीरचंद 
=चक्कर 
=गोलमाल प्रसारित 

बाल नाटक: 
=फैसला 
=शंखेश्वर के सींग 
=परीक्षा =बिगड़ग्यौ बबलू 
=म्हारा गुरुजी 

प्रसारित रूपक: 
=सिंधु घाटी की समकालीन सभ्यता: कालीबंगा 

मंचित नाटक : 
=बात रा दाम 
=जै'रीली नागण : शराब 
=म्हारा गुरुजी 
=बिगड़ग्यौ बबलू 
=मास्टर फकीरचंद 
=सैं'संू बड़ी पढाई 
=तंू कांईं बणसी 

पुरस्कार और सम्मान : 
=राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से हिन्दी बाल कथा संग्रह पर डॉ.शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार (1988-89) 
=राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से राजस्थानी बाल नाटक पर पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य पुरस्कार (1998-99) 
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर (उत्तरप्रदेश) की ओर से बाल साहित्य सम्मान, 1998 
=हिन्दी बाल कथा पर अखिल भारतीय शकुन्तला सिरोठिया बाल कहानी पुरस्कार, इलाहाबाद (2000) 
=राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह, चित्तौडग़ढ़ से राजस्थानी बाल एकांकी पर चंद्रसिंह बिरकाली राजस्थानी बाल साहित्य का प्रथम पुरस्कार (1998-99)
=हिन्दी बाल कथा पर कमला चौहान स्मृति ट्रस्ट, देहरादून (उत्तरांचल) की ओर से सर्वश्रेष्ठ बाल साहित्यकार पुरस्कार (2001) 
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं पर अखिल भारतीय साहित्य एवं कला विकास मंच, रावतसर (1999) से सार्वजनिक सम्मान। 
=पंडित भूपनारायण दीक्षित बाल साहित्य पुरस्कार, हरदोई, उत्तरप्रदेश (1998-99) =नागरी बाल साहित्य संस्थान, बलिया, उत्तरप्रदेश से सम्मान (1998-99) 
=पं. हरप्रसाद पाठक स्मृति बाल संस्थान, कानपुर से सम्मान (1998-99) 
=रूचिर साहित्य समिति, सोजतशहर, पाली, राज. की ओर से बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सार्वजनिक सम्मान (1998-99) 
=ग्राम पंचायत, जण्डावाली, हनुमानगढ़, राज., (1997) नगर परिषद्, हनुमानगढ़ (1989) और जिला प्रशासन, हनुमानगढ़ (1998) की ओर से सार्वजनिक सम्मान। 
=रोवर स्काउट (सेवा कार्य / साइकिल हाइक) में राज्य स्तरीय पुरस्कार (1979) 
=महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान कविता, कहानी, कार्टून, एकाभिनय, श्रेष्ठ हस्तलेखन व कुश्ती प्रतियोगिता में प्रथम / द्वितीय 
=अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर राज्य में सर्वाधिक पुस्तक दानदाता के राज्य स्तरीय पुरस्कार से बिड़ला सभागार, जयपुर में सार्वजनिक सम्मान (2005) 
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2005) 
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2009) 
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2009) 
=सृजनशील बाल साहित्य रचनाकारों की राष्ट्रीय संस्था 'बाल चेतना', जयपुर की ओर से राजस्थानी बाल साहित्य की सेवाओं के लिए 'सीतादेवी अखिल भारतीय श्रीवास्तव सम्मान' (2006) 
=राजस्थानी बाल साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रयास संस्थान, चूरू की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2010) 
=साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से " बाळपणै री बातां"  पुस्तक राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित एवं पुरस्कृत ( 2012 )

संपर्क: 10/22, आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान, भारत 
मोबाइल - 094145146

Wednesday 19 November 2014

बच्चे मन के सच्चे / दीनदयाल शर्मा

हिन्दी बाल कविता....

बच्चे मन के सच्चे  / दीनदयाल शर्मा 

खट खट खट खट कटती लकड़ी 
आठ पैर की होती मकड़ी..

थप थप थप थप देती थपकी 
घोड़ा खड़ा खड़ा ले झपकी..

चट पट चट पट चने चबाए,
बकरी में में कर मिमियाए 

टर टर टर टर मेंढक करता 
चूहा बिल्ली से है डरता..

खट खट खट खट बजते बूट 
बिन जूतों के फिरते ऊँट ..

खड़ खड़ खड़ खड़ होता शोर.
बादल देख के नाचा  मोर..

छट पट छट पट बरखा आए
कागज की सब नाव चलाए..

दड़ बड़ दड़ बड़ भागे बच्चे 
मन से निर्मल होते सच्चे ...

हिन्दी में लिखिए