राजस्थानी सबद - भाग : 2
/ दीनदयाल शर्मा
प्रतियोगी परीक्षा रै पढेसरियां सारू
गांवां रा आंचलिक सबद ।
चोखा लागै तो टिप्पणी जरूर।
31. कढावणी= बड़े मुँह का मटके के
आकार का मिट्टी का बर्तन जिसमें
दूध गर्म करने के लिए हा'रे में रखते हैं।
32. हा'रा= दूध या पानी गर्म करने का
तन्दूर जैसा, लेकिन तन्दूर से कम ऊंचाई का।
33. बळीतौ= आग जलाने की
सामग्री-लकड़ी, उपले, थेपड़ी, छाणां आदि।
34. तीवण या साग= सब्जी
35. माचौ= चारपाई
36. गूदड़ी= बच्चों का बिछौना, जिसमें
रूई की जगह पुराने कपड़े भरे होते हैं।
37. गूदड़= बड़ों के बिछौने, जिसमें रूई की
जगह पुराने कपड़े भरे होते हैं।
38. ताती या तातौ या ताता = गर्म
39. गला= गळा
40. तांती= अस्वस्थ होने पर देवता के
नाम का गळे में बांधने वाला धागा,
मोळी अथवा नाळ।
46. दसौटन= बच्चे के जन्म पर
दी जाने वाली पार्टी।
47. खर्च, औसर, मौसर= मृत्यु भोज।
48. जीवत जिगड़ी= मृत्यु भोज के नाम
पर जीवित रहते हुए अपने सामने
लोगों को भोजन करवाना।
49. टोगडिय़ा, टोगडिय़ौ= बच्छड़ा।
50. दूध चुंघाणा= दूध पिलाना।
51. खोली= भैंस।
52. धार= दूध।
53. काचरी= काचर को छीलकर और काटकर
सुखा कर सुरक्षित रखी गई सामग्री।
54. खेलरी= ककड़ी को छीलकर और काटकर
सुखा कर सुरक्षित रखी गई सामग्री।
55. फोफळिया= टिण्डे को काटकर और
सुखाकर सुरक्षित रखी गई सामग्री।
56. सींव= खेत की सरहद या सीमा।
57. पाड़ करना= खेत जोतना।
58. फोगलिया= फोग के लगते हैं,
जो रायता बनाने के काम आता है।
59. लाव= कुएं से पानी निकालने
का मोटा रस्सा।
60. खेळ= पशुओं को पानी पिलाने
के लिए बना हौज।
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