Saturday 2 July 2011

माँ / दीनदयाल शर्मा


माँ  
माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।

दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।

मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।

कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।
 
-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत
09414514666,
09509542303

4 comments:

  1. प्यारी ..सुंदर कविता

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  2. आदरणीय दीनदयाल शर्मा जी हार्दिक अभिवादन - माँ को नमन -सच में माँ पर कुर्बान होने को ही जी करता है कौन इस का इस जग में कर्ज उतर सका है ....
    सुन्दर सीख देती प्यारी रचना
    बधाई हो सुन्दर रचना पर
    कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
    मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
    तुझ पर मैं कुर्बान,
    माँ तू बहुत महान।।

    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५
    समय मिले तो हमारे अन्य ब्लॉग पर भी पधारें कभी -लिंक हैं,

    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया , http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com,

    रस रंग भ्रमर का , http://surendrashukla-bhramar.blogspot.com,

    भ्रमर की माधुरी , http://surendrashuklabhramar.blogspot.com,

    भ्रमर का दर्द और दर्पण , http://surenrashuklabhramar.blogspot.com

    shukl bhramar5

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  3. maa hoti hi mahan hai .sundar rachna

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