Monday 26 July 2010

शिव मोहन यादव की कविता "गुड़िया"

गुडिय़ा
पापा मुझको देते प्यार,
मम्मी ममता देती।
मैं पापा की प्यारी गुडिय़ा,
जो चाहूं सो करती।।
दादा मुझे खिलाते बिस्कुट
खूब पेट भर खाती।
दादीजी की पकड़ के अंगुली
मेला देखने जाती।।
अगर कभी मैं जाऊं रूठ
मुझको सभी मनाते।
नाना-नानी बैठ शाम को
लोरी मुझे सुनाते।।

 शिवमोहन यादव,कानपुर, देहात
097956 24197

4 comments:

  1. पाखी बिटिया की तस्वीर के साथ सुन्दर बाल-गीत...बधाई.

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  2. मैं पापा की प्यारी गुडिय़ा,
    जो चाहूं सो करती।।
    दादा मुझे खिलाते बिस्कुट
    खूब पेट भर खाती।
    ...Kya kahne...Sundar Geet.Pakhi ki photo to pyari hai hi.

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  3. अले ये तो मेरी फोटो है..कविता तो बहुत सुन्दर है ..बधाई.
    _____________________
    'पाखी की दुनिया ' में बारिश और रेनकोट...Rain-Rain go away..

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