पाखी की सीख
पाखी सबके मन को भाती,
छोटी बहना को समझाती.
दीदी की बातें सुन - सुन के,
मानो तन्वी ध्यान लगाती.
पाखी बिटिया हँसती है जब,
दुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
रोना - हँसना जीवन अपना.
पाखी हम सबको बतलाती..
दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान,
आपने तो बहुत अच्छा लिखा...इसे मैं आपने ब्लॉग पर भी साभार दे रही हूँ. इसके लिए आपका आभार और ढेर सारा प्यार.
ReplyDeleteदीनदयाल शर्मा जी ने तो पाखी बिटिया के लिए बड़ी प्यारी कविता लिखी. पढ़कर आनंद आ गया. अक्षिता और तन्वी को ढेर सारा प्यार एवं दीनदयाल शर्मा जी को इस अनुपम प्रस्तुति के लिए साधुवाद !
ReplyDeleteपाखी बिटिया हँसती है जब,
ReplyDeleteदुनिया भी हँसने लग जाती.
फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.
...बेहतरीन कविता...बधाई. पाखी बिटिया को प्यार और आशीर्वाद.
पाखी के लिए आपकी यह कविता बहुत प्यारी-न्यारी लगी. सुन्दर शब्दों के साथ अपने इसे सहजता से प्रस्तुत किया है...आभार.
ReplyDeleteबहुत खूब...वाकई दीनदयाल जी की इस बाल सुलभ कविता ने मन मोह लिया...बहुत-बहुत बधाई और पाखी व तन्वी को दादा की तरफ से प्यार व आशीर्वाद.
ReplyDeleteshaandar
ReplyDeleteअच्छी बेटियों के लिए अच्छी-सी कविता!
ReplyDelete