Sunday 16 January 2011

पाखी की सीख / दीनदयाल शर्मा

पाखी की सीख
पाखी सबके मन को भाती,
छोटी बहना को समझाती.

दीदी की बातें सुन - सुन के,
मानो तन्वी ध्यान लगाती.

पाखी बिटिया हँसती है जब, 
दुनिया भी हँसने लग जाती. 

फूलों की बरखा हो जाती.
धरती खुशियों से भर जाती.

रोना - हँसना जीवन अपना. 
पाखी हम सबको बतलाती..

दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़, राजस्थान,  


7 comments:

  1. आपने तो बहुत अच्छा लिखा...इसे मैं आपने ब्लॉग पर भी साभार दे रही हूँ. इसके लिए आपका आभार और ढेर सारा प्यार.

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  2. दीनदयाल शर्मा जी ने तो पाखी बिटिया के लिए बड़ी प्यारी कविता लिखी. पढ़कर आनंद आ गया. अक्षिता और तन्वी को ढेर सारा प्यार एवं दीनदयाल शर्मा जी को इस अनुपम प्रस्तुति के लिए साधुवाद !

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  3. पाखी बिटिया हँसती है जब,
    दुनिया भी हँसने लग जाती.


    फूलों की बरखा हो जाती.
    धरती खुशियों से भर जाती.
    ...बेहतरीन कविता...बधाई. पाखी बिटिया को प्यार और आशीर्वाद.

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  4. पाखी के लिए आपकी यह कविता बहुत प्यारी-न्यारी लगी. सुन्दर शब्दों के साथ अपने इसे सहजता से प्रस्तुत किया है...आभार.

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  5. बहुत खूब...वाकई दीनदयाल जी की इस बाल सुलभ कविता ने मन मोह लिया...बहुत-बहुत बधाई और पाखी व तन्वी को दादा की तरफ से प्यार व आशीर्वाद.

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  6. अच्छी बेटियों के लिए अच्छी-सी कविता!

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