Saturday, 17 July 2010

घमंडीलाल अग्रवाल की बाल कविता 'पानी'

पानी

थल पर पानी, नभ में पानी
पानी तेरी अजब कहानी।

पानी से भोजन पकता है
पानी से भोजन पचता है
पानी घर की करे धुलाई
पानी तन की करे सफाई
पानी है जीवों का जीवन
रोज़ बताती बूढ़ी नानी।

सब्जी और फलों में पानी
 कूपों और नलों में पानी
 है पहचान नदी की पानी
रहती मांग सभी की पानी
सच पूछो काले बादल ने
पानी की कीमत पहचानी।

पानी को मत व्यर्थ गंवाओ
पानी पीकर प्यास बुझाओ
पानी स्वच्छ रहे तो अच्छा
पानी नहीं बहे तो अच्छा
पानी कितना उपयोगी है
सच्चाई दुनिया ने मानी।

पानी बिना जिंदगी सूनी 
पानी देता सुविधा दूनी
पानी की हर बात विचारो
मत आंखों का पानी मारो
पानी रखना सीखो बच्चो
होना पड़े न पानी-पानी।

घमंडीलाल अग्रवाल
785/8, अशोक विहार,
गुडग़ांव-122001, (हरियाणा)
मोबाइल :09210456666
दूरभाष :0124-2255570

1 comment:

  1. घमंडीलाल अग्रवाल आजकल अपना उपनाम 'राजीव' न जाने क्यों नहीं लिखते.

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