Friday, 16 July 2010

बाल कविता

कितना अद्भुत देश
रोबिन, रंगा, गुलशन, गंगा।
आओ खेलें अंगा-बंगा।।
आंटा-सांटा पुरी परांठा।
चौपड़पासा किलकिल कांटा।।
मछली रानी संमदर पानी।
ताल मिलाए दादी-नानी।।
लंगड़ी घोड़ी, कच्ची घोड़ी।
गबलू, बबलू जंगम जोड़ी।।
बाग बहारें सोलह सारें।
इस मस्ती पर सब कुछ वारें।।
अटकन-बटकन दही चटोकन।
खेल-खेल में थिरके तन-मन।।
चाँद-सितारे अपने सारे। 
हम न कभी दुनिया में हारे।।
घर-घर प्यारा रामदुलारा।
कितना अद्भुत देश हमारा।।

-भगवतीप्रसाद गौतम
1-त-8, दादाबाड़ी,
कोटा-324009, राजस्थान
फोन : 0744-2504165
मोबाइल : 09461182571

1 comment:

  1. बहुत प्यारी कविता ... और हमारा देश तो है ही प्यारा ...

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