Sunday, 1 August 2010

टेलीविजन / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

मेरा टी०वी० है अनमोल ।
खोल रहा दुनिया की पोल ।।

इसमें चैनल एक हज़ार ।
इसके बिन जीवन बेकार ।।

कितना प्यारा और सलोना ।
बच्चों का ये एक खिलौना ।।

समाचार इसमें हैं आते ।
कार्टून हैं ख़ूब हँसाते ।।

गीत और संगीत सुनाता ।
पल-पल की घटना बतलाता ।।

बस रिमोट का बटन दबाओ ।
मनचाहा चैनल पा जाओ ।।

यह सबके मन को भाता है ।
क्रिकेट, कुश्ती दिखलाता है ।।

नृत्य सिखाता, मन बहलाता ।
नये-नये पकवान बताता ।।

नई-नई कारों को देखो ।
जगमग त्योहारों को देखो ।।

नए-नए देखो परिधान ।
टेलीविजन बहुत महान ।।


मोबाइल: 09368499921, 09997996437, 09456383898



3 comments:

  1. शर्मा जी आपका बहुत-बहुत आभार!

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  2. बहुत सुन्दर कविता………………शास्त्री जी को बधाई।

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