Friday 28 May 2010

राजस्थानी सबद - भाग : 1/ दीनदयाल शर्मा

राजस्थानी सबद - भाग : 1
/ दीनदयाल शर्मा 





प्रतियोगी परीक्षा रै पढेसरियां 
सारू गांवां रा आंचलिक सबद। 
चोखा लागै तो टिप्पणी जरूर...।

1. न्याणां= गाय का दूध दूहते 
समय उसके पीछे वाले पैरों में 
क्रॉस की तरह जो रस्सी बांधते हैं।
2. जावण= दूध को दही रूप में 
जमाने के लिए हल्के गर्म दूध में 
चम्मच भर दही या छाछ डालते हैं।
 इसी दही या छाछ को जावण बोलते हैं।
3. सूण्डी= नाभि
4. पीळा पोमचा= एक ऐसी ओढऩी, 
जिसे  केवल पुत्र की मां ही ओढ़ती है। 
5. दावण= चारपाई के लगभग पांचवें 
हिस्से में लगाई गई रस्सी को जो सूत,
 रबड़ या कपड़े की बनी होती है।




6. नेत्रो= दही बिलोते समय जो रस्सी 
काम में ली जाती है।
7. डोई= कुड़छे के समान लकड़ी के बने हुए 
यंत्र को डोई कहते हैं।
8. झेरना= दही बिलौने के लिए 
लकड़ी का यंत्र जिसमें नीचे की ओर
 उसी लकड़ी से चार हिस्से करके बना होता है।
 छिले हुए केले के छिलकों की तरह बना होता है।
9. थेपड़ी= गोबर से बनाई गई चपटी
 गोलाकार आकृति जो पुरानी गली-सड़ी 
तूड़ी या ग्वार का सूखा बेकार चारा
 मिलाकर बनाई जाती है।
10. छाणां= गोबर से बिना कोई आकार के 
बने छोटे-छोटे उपले।




11. ठाण= पशुओं को चारा डालने के लिए 
बनाया गया स्थान।
12. साळ या कोठा= घर के अंदर आंगन में 
बना आयताकार बड़ा कमरा।
13. सुरमा= जो सूखा होता है और आंखों की सफाई के लिए आंखों में डाला जाता है।
14. काजळ= आंखों की सुन्दरता के लिए महिलाएं लगाती हैं।
15. निजरियो= बच्चों के माथे के एक ओर लगाया जाने वाला काजल का टिक्का।




16. बाखळ= आंगन के बाहर से लेकर 
मुख्य द्वार के बीच की जगह।
17. दुराजौ= दरवाजा
18. कंध या भींत= दीवार
19. मौ'डा= भुजा
20. गौडा= घुटना




21. बींटी= अंगूठी
22. लीख= जूं की पूर्वावस्था।
23. ढेरा या टोकळ= जूं का बड़ा रूप।
24. डोळा= भौंहें
25. भांपण= आंखों के ऊपर के बाल।




26. गूद्दी= गर्दन के पीछे का हिस्सा।
27. कमर या कड़= पीठ
28. फींच = घुटने के पीछे का हिस्सा।
29. पींडी= घुटने और टखने के बीच का   हिस्सा।
30. साथळ=घुटने और कमर के बीच का हिस्सा। 

1 comment:

  1. Ghano chokho kaaj, pan arath Rajasthani maay
    deta to aur ghano choko laagto

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