Monday, 5 July 2010

समझण / दीनदयाल शर्मा

सुसरो जी
बहु सूं बोल्या-
बीनणी
तंू आपरी
सासू रो
बुरौ ना मानी
अर आ' ना सोची
कै ईं रै
बोलण री
आ' के तमीज है
आ' बापड़ी
मीठी तो ईं कारण
नीं बोलै
कै
सूगर री मरीज है।

4 comments:

  1. हा हा हा
    कड़वा शायद इसलिए बोलती होगी कि नीम की प्रयोग बताया है डाग्दर ने !

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  2. मस्त.. राजस्थानी में बढ़िया कविता....

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  3. बहुत ही सुन्दर पोस्ट!
    --
    इसकी चर्चा यहाँ भी की गई है-
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/blog-post.html

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