Wednesday 21 December 2011

माँ / दीनदयाल शर्मा


माँ
अठारह जनवरी ग्यारह को,
चली गई थी माँ।
बचपन मेरा ले गई,
मुझे बड़ा कर गई माँ।।

दीनू दीनूड़ा दीनदयाल, 
कह पुकारती थी माँ।
गोद में सिर टेकता,
तो दुलारती थी माँ।।

इक माँ ही गुरु थी मेरी,
सच्ची राह दिखाती थी।
करता था गिले-शिकवे,
तो मुझे समझाती थी।।

तेईस जनवरी दस को,
इक भाई चला जवाँ।
बेटे के बिछोह से,
तब भर गई थी माँ।।

इक साल सदमा ढोया,
ना सहन पाई माँ।
दिल बिंध गया था उसका,
थे रह गये निशाँ।।

बारह मार्च छ: की भोर,
पिताजी चले गये।
कहती थी मुझे छोड़कर,
वे चले गये कहाँ।।

साथी से पलभर कभी,
न दूर हुई थी माँ।
अब चली गई है माँ,
अनाथ कर गई है माँ।।

-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार

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