Saturday 23 October 2010

समझ / हरदीप कौर संधु

समझ

जब तू नन्हा सा था

माँ की गोद में खेलता था 

तुतला-तुतला बोलता था

माँ समझ जाती थी

तेरी हर तोतली बात

अब तू हो गया बहुत बड़ा  

हर बात साफ-साफ बोलता

 बात-बात पर तू यह कहता

माँ तू  समझ नहीं.....मेरी बात



अपनी माँ को न: समझ बताकर


खुद को बहुत समझदार समझता!!

हरदीप कौर संधु   
http://shabdonkaujala.blogspot.com/



Friday 22 October 2010

तोते उड़ते पंख पसार / डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”

“तोते उड़ते पंख पसार!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

GO8F7402copyLarge2नीला नभ इनका संसार। 

तोते उड़ते पंख पसार।। 
Parrot-BN_MR7817-wजब कोई भी थक जाता है। 

वो डाली पर सुस्ताता है।। 

तोता पेड़ों का बासिन्दा। 

कहलाता आजाद परिन्दा।। 
parrot_2खाने का सामान धरा है। 

पर मन में अवसाद भरा है।। 

लोहे का हो या कंचन का। 

बन्धन दोनों में तन मन का।। 

अत्याचार कभी मत करना। 

मत इसको पिंजडे में धरना।। 

totaकारावास बहुत दुखदायी। 

जेल नहीं होती सुखदायी।। 

मत देना इसको अवसाद। 

करना तोते को आज़ाद।। 
(चित्र गूगल छवियों से साभार)

Wednesday 13 October 2010

रावण / दीनदयाल शर्मा

रावण

सालो-साल दशहरा आता
पुतला झट बन जाए।

बँधा हुआ रस्सी से रावण
खड़ा-खड़ा मुस्काए।
चाहे हो तो करे ख़ात्मा,
राम कहाँ से आए।

रूप राम का धरकर कोई,
अग्निबाण चलाए।
धू-धू करके राख हो गया,
नकली रावण हाय!

मिलकर खुशियाँ बाँटें सारे,
नाचें और नचाएँ।
अपने भीतर नहीं झाँकते,
खुद को राम कहाए।

सबके मन में बैठा रावण,
इसको कौन मिटाए।

-दीनदयाल शर्मा




Monday 11 October 2010

Lokarpan

बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की 
तीन बाल साहित्यिक पुस्तकों का लोकार्पण


हनुमानगढ़, 11 अक्टूबर। बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की तीन बाल साहित्यिक पुस्तकें- 'नानी तंू है कैसी नानी', 'इक्यावन बाल पहेलियां' और 'राजस्थानी बाल साहित्य: एक दृष्टि..' का लोकार्पण राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडंूगरगढ़ और राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में श्रीडंूगरगढ़ में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय लेखक सम्मेलन में महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ.गंगाराम जाखड़, दूरदर्शन केन्द्र, जयपुर के निदेशक हरीशचंद करमचंदानी, कोटा के आलोचक डॉ.हितेश व्यास और राष्ट्रभाषा समिति अध्यक्ष श्याम महर्षि ने किया। समारोह पुस्तक विमोचन सत्र का संचालन साहित्यकार रवि पुरोहित ने किया।




Tuesday 5 October 2010

पोथी परख


बाळपणै री बातां

'बाळपणै री बातां' बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा री आपरी यादां री अेक लाम्बी जातरा है। अठै लेखक आपनै खुद नै पोथी रै केन्द्र में राखता थकां टाबरां रै जीवन री अबखायां अर बां'रै जीवन री मस्तियां रौ अेक सांगोपांग वर्णन कर्यौ है। माणस रौ बाळपणौ अर बाळपणै री बातां अर यादां बीं'रै जूण री सगळां संू अनमोल खजानौ हुवै। 

बाळपणै रा साथी-संगळियां नै माणस कदी नीं भूल सकै। लिखारा ईंयां लागै जियां बां' जद आ' पोथी मांडणी सरू करी, तद बै' खुद फेरूं अेकर जमां'ईं टाबर बणग्या हुवै। बाल मनोविग्यान री आपां तो बातां करां पण दीनदयाल शर्मा तो टाबरां रै बाल मनोविग्यान रा जादूगर है। बै' टाबर रै मन मांय ऊंडै तांईं देखण री कूंवत राखै। बां' कन्नै आपरै  बाळपणै री यादां रौ अेक पूरौ भंडार है। आ' बात इण पोथी मांय आच्छी तरियां सिद्ध होवै।

आजकाल रा मा-बाप आपरै टाबरां साथै ज्यादा बतळावण कोनी करै। अर टाबर मानसिक अवसाद रा शिकार हो'र बीमारियां संू घिरज्यै। अर बां' रै शरीर रौ भी विकास नीं होवै पण इण पोथी मांय आ' बात पाठकां रै दिल तांईं सीधी पहुंचै। लिखारा आपरै टाबरां साथै कियां घुळमिल'र रैवै अर बां'रै  साथै रोजिना बतळावण करै। अर आ' बतळावण ही बां' रै टाबरां मांय अेक नंूवै आत्मविसवास रौ विकास करै। 

लेखक आपरै बाळपणै री आज रै बाळपणै संू तुलना ईं पोथी मांय करी है। बीं' टेम पढाई बिना कोई मानसिक दवाब संू होंवती। टाबरां मांय बीं' टेम अेक बणावटी दौर कोनी हो। सगळा आपरी श्रद्धा सारू पढता अर घरआळा भी टाबरां ऊपर ज्यादा आपरी महत्वकांक्षा कोनी लादता। आ' बात आज रै अभिभावकां सारू ईं पोथी में अेक सोवणौ अर साफ-साफ संदेश है। 

दीनदयाल शर्मा टाबरां माथै पढाई रै बढतै बोझ माथै भौत चिन्त्या करता थकां कै'यौ है कै- आज टाबर री सावळ बढवार वास्तै बी'नै खेलणौ-घूमणौ भौत जरूरी है। नीं तो बौ' टाबर शरीर अर मन दोनां सूं कमजोर रै' ज्यासी। आज री पढाई व्यवस्था माथै चिंत्या दरसांवतां थकां लेखक ईं व्यवस्था मांय बदळाव करणै सारू जोर देवै। आज री व्यवस्था अक्षर ग्यान माथै जोर देवै अर लेखक टाबर नै व्यवहारिक ग्यान माथै जोर देवै। पोथी मांय 47 आलेख है जिका सरावण जोग है। 

भासा सरल अर सहज, छपाई अर कागज सोवणा, चितराम भी संस्मरण मुजब। पोथी पढणौ सरू कर्यां पाठक पूरी पढ'र ई छोडै। इणनै आखै देश में पाठकां रौ प्यार मिलसी। राजस्थानी भासा में टाबरां रै संस्मरण री स्यात आ' पैली पोथी है। म्हारी घणी-घणी शुभकामना अर बधाई।

पोथी - बाळपणै री बातां
लेखक - दीनदयाल शर्मा
विधा - बाल संस्मरण
पृष्ठ - 112
संस्करण - 2009
मोल - 200 रिपिया
प्रकाशक - टाबर टोल़ी
10 /22 आर.एच.बी.,
हनुमानगढ़ जं.-335512 
(राजस्थान)

- सतीश गोल्याण, मु.पो. जसाना, तहसील- नोहर, 
जिला-हनुमानगढ़, राज. मो. 9929230036

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